8 अक्टूबर से बदलेगा महाकालेश्वर मंदिर में आरतियों का समय, अब संध्या आरती शाम 6:30 बजे से; शीत ऋतु के अनुरूप हुआ समय निर्धारण!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर में ऋतु परिवर्तन के साथ आरती की समय-सारणी में बदलाव किया जा रहा है। 8 अक्टूबर, कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से महाकाल की तीन प्रमुख आरतियों के समय में परिवर्तन होगा। यह बदलाव हर साल की तरह इस बार भी शीत ऋतु के आगमन को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है।

 शीतकाल की शुरुआत के साथ आरतियों का नया समय

मंदिर प्रबंध समिति और पुजारी समुदाय के अनुसार, जैसे-जैसे दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं, वैसे ही महाकालेश्वर की आरतियों का क्रम और समय भी समायोजित किया जाता है।
पंडित प्रदीप गुरु ने बताया —

“हर छह महीने में महाकाल की तीन आरतियों का समय बदला जाता है। चैत्र और कार्तिक की शुरुआत में यह परंपरा निभाई जाती है, जबकि होली के बाद दोबारा ग्रीष्मकालीन समय लागू किया जाता है।”

 बदले गए आरतियों के समय (8 अक्टूबर से)

  • दद्योदक आरती: सुबह 7:00 की जगह अब 7:30 से 8:15 बजे तक

  • भोग आरती: सुबह 10:00 की जगह अब 10:30 से 11:15 बजे तक

  • संध्या आरती: शाम 7:00 की जगह अब 6:30 से 7:15 बजे तक

इन बदलावों के पीछे उद्देश्य यह है कि आरती के समय भक्त अधिक सुविधा से दर्शन कर सकें और पूजन विधि ऋतु के अनुरूप हो।

इन आरतियों में कोई बदलाव नहीं

  • भस्म आरती: सुबह 4:00 से 6:00 बजे तक

  • सांध्य पूजन: शाम 5:00 से 5:45 बजे तक

  • शयन आरती: रात 10:30 से 11:00 बजे तक

यह सभी आरतियाँ अपनी परंपरागत समय पर ही संपन्न होंगी। खासकर भस्म आरती का समय वर्षभर समान रहता है, क्योंकि यह आरती महाकाल की जागृति का प्रतीक मानी जाती है।

शरद पूर्णिमा पर महाकाल को लगेगा मेवा-खीर का भोग

इधर, 6 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का पर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर में पूरे उत्साह से मनाया जाएगा। शाम को संध्या आरती के बाद भगवान महाकाल को मेवा युक्त खीर का नैवेद्य अर्पित किया जाएगा। इसके बाद भक्तों में यह प्रसाद वितरित किया जाएगा।

मंदिर समिति ने नैवेद्य कक्ष को विशेष रूप से सजाने की तैयारी की है। हर साल की तरह इस बार भी श्रद्धालु पूर्णिमा की चांदनी में महाकाल की आरती का दर्शन करेंगे।

 ज्योतिषीय दृष्टि से शुभ योग

ज्योतिषाचार्य पं. अजयकृष्ण शंकर व्यास के अनुसार,

“इस वर्ष शरद पूर्णिमा पर मीन राशि में चंद्र-शनि का योग बन रहा है। यह योग शरीर और मन दोनों के लिए शुभ माना जाता है। खीर प्रसाद इस दिन स्वास्थ्यवर्धक प्रभाव देता है।”

पूर्ण चंद्रमा शाम 5:34 बजे उदित होगा और अगले दिन सुबह 6:19 बजे अस्त होगा। इस दौरान भक्त 16 कला युक्त पूर्णिमा चंद्रमा की चांदनी में स्नान और ध्यान का पुण्य प्राप्त कर सकेंगे।

महाकाल मंदिर प्रशासन ने भक्तों से अपील की है कि वे बदले हुए आरती समय को ध्यान में रखें और समय से पहले मंदिर पहुंचे ताकि दर्शन-पूजन में कोई असुविधा न हो।

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